शनिवार, 25 मई 2013

तुम्हारे लिए....







ज़ज्बातों के भरे समंदर जाने कैसे...कब..सूख गए थे
मेरी इन आँखों में आँसू आते - आते  ऐसे रूठ गए थे !

इक तेरे  होने  ने जाने..क्या-क्या दे डाला मुझको है 
हरसिंगार खिले चेहेरे पे....जो  पहले सूख  गए  थे !

एक अनजानी खुशबू मेरे हर सू ऐसी बिखर  गयी जब
अपने से भी लगे अजनबी....जब अपने भी गैर लगे  थे !


***पूनम***




18 टिप्‍पणियां:

  1. ऐसा ही अहसास होता है ,,अपने से भी लगे अजनबी ..जब अपने भी गैर लगे थे ,,सुंदर प्रस्तुति

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  2. इक तेरे होने ने जाने..क्या-क्या दे डाला मुझको है..
    behtareen..

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  3. कोमल अहसासों से बुनी रचना..

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  4. बहुत ही सुन्दर और सरस एहसास.

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  5. ज़ज्बातों के भरे समंदर जाने कैसे...कब..सूख गए थे
    मेरी इन आँखों में आँसू आते - आते ऐसे रूठ गए थे !.bahut hi sundar ahsaas ....

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  6. ज़ज्बातों के भरे समंदर जाने कैसे...कब..सूख गए थे
    मेरी इन आँखों में आँसू आते - आते ऐसे रूठ गए थे !

    अति सुन्दर अभिव्यक्ति !

    अनुशरण कर मेरे ब्लॉग को अनुभव करे मेरी अनुभूति को
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  7. एक अनजानी खुशबू मेरे हर सू ऐसी बिखर गयी जब
    दिल को छू गयी आपकी रचना....

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  8. इक तेरे होने ने जाने..क्या-क्या दे डाला मुझको है
    हरसिंगार खिले चेहेरे पे....जो पहले सूख गए थे !..
    यूं तो एहसास ही बहुत होता है किसी एक का ... फिर अगर वो साथ हो तो बात ही क्या ... जीवन बदल जाता है ...

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