जब भी छू लेती हूँ खाबों में तुझको मैं कभी..
हाथों से मेरे देर तक तेरी खुशबू आए...!
दूर से भी तेरी आवाज़ मैं सुन लेती हूँ.
जब कभी तू मुझे चुपके से बुलाने आये...!
मेरी आँखों में ये आँसू नहीं हैं...पानी है..
एक सूरत है जो हरदम इसमें झिलमिलाये...!
मेरे अल्फाज़ कभी सुन सके...तू मेरी जानिब
लफ्ज़ से तू नहीं आँखों से दिल में उतर जाये...!
वाह बहुत खूब
जवाब देंहटाएंआपकी यह रचना कल मंगलवार (21 -05-2013) को ब्लॉग प्रसारण के "विशेष रचना कोना" पर लिंक की गई है कृपया पधारें.
जवाब देंहटाएंबहुत खूब
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति ,
जवाब देंहटाएंRecent post: जनता सबक सिखायेगी...
बेहतरीन
जवाब देंहटाएंkhoobsurat bhaav
जवाब देंहटाएंबढ़िया प्रस्तुति ...
जवाब देंहटाएंदूर से भी तेरी आवाज़ मैं सुन लेती हूँ.
जवाब देंहटाएंजब कभी तू मुझे चुपके से बुलाने आये...
दिल किसी की राह तकता हो ... तो उसकी हर आहट सुनाई देती है ....
भावपूर्ण ....