शुक्रवार, 20 जुलाई 2012

बस एक ख्वाब.....






चलो,आज ख्वाबों में बादलों की पतंग बनाये
आसमां लगे भरा-भरा कुछ इस तरह उडाएं....!

कभी खींच कर एक बादल का टुकड़ा
अपने घर की किसी दीवार पे सजाएं....!

कभी खोल दे खिड़कियाँ सारी घर की
फलक से धनक को ज़मीन पर उतारें....!

पहन कर कभी धानी चूनर तुम्हारी
छनन छन,छनन अपनी पायल बजाये...!

वो उड़ता सा आँचल,वो बिखरी सी जुल्फ़ें 
वो गुनगुन सी बदरी,वो रिमझिम फुहारें...! 

वो गालों की लाली,वो माथे के बिंदिया
इन आँखों में काजल सा तुमको सजाएं...!






6 टिप्‍पणियां:

  1. पहन कर कभी धानी चूनर तुम्हारी
    छनन छन,छनन अपनी पायल बजाये...!

    सावन की घटा .....बरस रही है ...आनंद ले रहे हो ...!

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  2. वो गालों की लाली,वो माथे के बिंदिया
    इन आँखों में काजल सा तुमको सजाएं...!

    RECENT POST ...: आई देश में आंधियाँ....

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  3. कभी खींच कर एक बादल का टुकड़ा
    अपने घर की किसी दीवार पे सजाएं...

    वाह .. क्या बात है ... बुत खूबसूरत चाह ... आसमा को कैद करने की चाहत ...

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