सोमवार, 18 जून 2012

बादल पहली बारिश का.......






उड़ता हुआ एक छोटा सा बादल
धीरे से नीचे उतर आया
जब मेरे गालों को छुआ उसने 
तो एहसास हुआ मुझे कि..
वो मेरे करीब है...!
घबरा के मैंने आस-पास देखा 
फिर देखा आसमान में
उसके जैसे न जाने 
कितने नटखट बादल 
हंस रहे थे मुझ पर,
मेरी हैरानी पर....!
एक ने आँखें झपकायीं,
एक ने मुंह को गोल किया
और एक सीटी मारी.....
तो ढेर सारी बूँदें टपक पड़ी 
खिलखिलाकर मुझ पर 
मैं तो बस सराबोर ही हो गई.....!
बाकी सब हंस-हंस कर 
लोटपोट हो गए
मेरी इस बेचारगी पर !
मैंने आँख तरेरी 
और उस छोटे से 
बादल  को धर दबोचा...
वह पहले तो कसमसाया
फिर मुस्कराता हुआ
मेरे हाथों से फिसल कर 
अपने साथियों से जा मिला 
आसमान में......!

16 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति ....
    शुभकामनायें...

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  2. अच्छा.............
    बादलों संग छेडखानी ????

    सुन्दर एहसास.....
    सस्नेह

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  3. मेरी हैरानी पर....!
    एक ने आँखें झपकायीं,
    एक ने मुंह को गोल किया
    और एक सीटी मारी.....
    तो ढेर सारी बूँदें टपक पड़ी
    खिलखिलाकर मुझ पर...

    बेहतरीन रचना, मन मंत्रमुग्ध हो गया!

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  4. सुन्दर सलोनी कल्पना ।

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  5. Natkhat badlon ka pagalpan ... Ya bahane se dil lagi Karne ka prayaas .... Lajawab prastuti ...

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  6. ढेर सारी बूँदें टपक पड़ी
    खिलखिलाकर मुझ पर
    मैं तो बस सराबोर ही हो गई.....!


    भावनाओं का बहुत सुंदर चित्रण ....

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  7. BAAD PAHLEE BAARISH KE ,MAN DOL GAYAA,PREM KO TARAS GAYAA,WO THEY KI NEEND SE HEE NAHEE JAAGE ,SAPNON KEE DUNIYAA MEIN KHOTE RAHE,HAM DARWAAZAA KHATKHATAATE RAH GAYE

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  8. क्या सुन्दर प्यारी सी चुटकी ली है आपने इक छोटे से बादल से

    बादल ने भी कह दिया 'इतना न् मुझ से तू प्यार बढ़ा कि
    मैं एक बादल आवारा....... '


    मेरे ब्लॉग पर आपके आने का बहुत बहुत आभार,पूनम जी.

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  9. सूखे में बादलों का एहसास हो गिया एक बार तो ..!

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  10. ढेर सारी बूँदें टपक पड़ी
    खिलखिलाकर मुझ पर
    मैं तो बस सराबोर ही हो गई.....!

    प्यारी सी खिलखिलाती कविता ....

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