है आजकल ये मेरा दिल यूं बेकरार बहुत
करार देके मुझे बेकरार तुम कर दो....
तेरे बिना मैं अधूरी ,है अधूरी ये गजल
कुछ लफ्ज देके गजल मेरी मुकम्मल कर दो....
तुम्हारे इश्क़ की गिरफ्त में है दिल
मेरा
तुम मुस्कुराके देख लो मुझे
आज़ाद कर दो....
आज की रात चाँद ने की है रौशनी मध्यम
तुम अपने नूर से ये
रात चाँदनी कर दो....
कब से बेताब हूँ इक तेरी झलक पाने को
छत पे आ जाओ मेरी दीद मुकम्मल कर दो.....
कब से बेताब हूँ इक तेरी झलक पाने को
जवाब देंहटाएंछत पे आ जाओ मेरी दीद मुकम्मल कर दो.....
वाह,,,क्या बात है बहुत सुंदर गजल,,,,,
MY RESENT POST,,,,,काव्यान्जलि ...: स्वागत गीत,,,,,
sundar ghazal ..
जवाब देंहटाएंकब से बेताब हूँ इक तेरी झलक पाने को
जवाब देंहटाएंछत पे आ जाओ मेरी दीद मुकम्मल कर दो....shandaar
sadar badhayee aaur amantran ke sath
कब से बेताब हूँ इक तेरी झलक पाने को
जवाब देंहटाएंछत पे आ जाओ मेरी दीद मुकम्मल कर दो.....
बहुत खूब .... छत पे बुलाने के बहाने अपनी नज़रें तृप्त करना ... खूबसूरत गज़ल है ..
तेरे बिना मैं अधूरी ,है अधूरी ये गजल
जवाब देंहटाएंकुछ लफ्ज देके गजल मेरी मुकम्मल कर दो....
और देखिये न गज़ल मुक्कमल हो ही गई
सुन्दर रचना, बधाई.
जवाब देंहटाएंअति सुन्दर
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएँ
ओहो बहुत ही रूमानी सी ग़ज़ल है और आखिरे शेर तो क्या कहने....वाह \
जवाब देंहटाएंहर शेर अपने आप में सम्पूर्ण हैं ......बहुत उम्दा
जवाब देंहटाएंबढ़िया हैं सारे अश आर ,ग़ज़ल के
जवाब देंहटाएंकृपया यहाँ भी पधारें -
फिरंगी संस्कृति का रोग है यह
प्रजनन अंगों को लगने वाला एक संक्रामक यौन रोग होता है सूजाक .इस यौन रोग गान' रिया(Gonorrhoea) से संक्रमित व्यक्ति से यौन संपर्क स्थापित करने वाले व्यक्ति को भी यह रोग लग जाता है .
http://kabirakhadabazarmein.blogspot.in/
ram ram bhai
शुक्रवार, 8 जून 2012
जादू समुद्री खरपतवार क़ा
बृहस्पतिवार, 7 जून 2012
कल का ग्रीन फ्यूल होगी समुद्री शैवाल
http://veerubhai1947.blogspot.in/
बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंपहले शेर के दूसरी लाइन में अगर बाकरार लिखें तो कैसा हो ।
पूनम जी,
जवाब देंहटाएंएक लम्बे अरसे के बाद आपके ब्लॉग पर आना हुआ, इस बीच आपने काफी कुछ कहा है, आपके सृजन में निरंतरता है. बढ़ा अच्छा लगा आपके ब्लॉग पर आ कर. इस ग़ज़ल में भी दिल के भीतर से निकले अश आर साफ़ नज़र आते हैं. दिल से कही हुई ग़ज़ल है.
लेकिन एक सवाल भी है..आपने भी बहर की तरफ ध्यान नहीं दिया लगता है...क्या जान बूझ कर ऐसा किया गया है या फिर कोई और कारन है..कृपया मेरा संशय दूर करें..क्यूंकि मैं स्वयं भी अक्सर इस दुविधा में पडा रहता हूँ.