बुधवार, 30 मई 2012













१३ मई..........
पूज्य श्री श्रीरविशंकर जी के जन्मोत्सव के उपलक्ष में...
गुरुजी के श्री चरणों में समर्पित कुछ पुष्प...


गुरु..............


जीवन में जब गुरु मिले
पकड़ लीजिये हाथ !
सांस सांस में राम रहे
कभी न छोड़े हाथ !!

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गुरु मुझको ऐसा मिला
सोये जागे साथ !
जब कभी भी ठोकर लगे
मेरा पकड़ा हाथ !! 

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गुरु मुझको ऐसा मिला
मोहन सूरत जिसकी !
आँख मूँद दर्शन करून
मन में पाऊँ झाँकी !!

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सांवरिया मेरो गुरु
मन में लियो बसाय !
आँख मूँद दरसन करूँ
करूँ प्रेम चित लाय !!

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बलिहारी तेरी गुरु
मन में कियो निवास !
यह सरीर मंदिर भयो
सांस-सांस में आस !!

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गुरु मेरा खुशबू हुआ
तन-मन में बस जाय !
कहाँ गुरु कहाँ स्वयं हूँ
अंतर किया न जाय !!




9 टिप्‍पणियां:

  1. सांवरिया मेरो गुरु
    मन में लियो बसाय !
    आँख मूँद दरसन करूँ
    करूँ प्रेम चित लाय !!

    बहुत सुन्दर ...

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  2. कहाँ गुरु कहाँ स्वयं हूँ
    अंतर किया न जाय !!,,,,,,भाव पुर्ण पंक्तियाँ

    सुंदर प्रस्तुति,,,,,

    RECENT POST ,,,,, काव्यान्जलि ,,,,, ऐ हवा महक ले आ,,,,,

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  3. सदगुरु के प्रति प्रेम ऐसे ही बढ़ता रहे..बहुत सुंदर भावभीनी पंक्तियाँ...

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  4. गुरु महिमा का सुन्दर चित्रण किया है ………सादर नमन्।

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  5. सुन्दर भाव गुरु के प्रति समर्पण......बहुत सुन्दर।

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  6. गुरु की महिमा तो अपरम्पार है ...
    सुन्दर पंक्तियाँ हैं ... हर क्षणिका लाजवाब ..

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