१३ मई..........
पूज्य श्री श्रीरविशंकर जी के जन्मोत्सव के उपलक्ष में...
गुरुजी के श्री चरणों में समर्पित कुछ पुष्प...
गुरु..............
जीवन में जब गुरु मिले
पकड़ लीजिये हाथ !
सांस सांस में राम रहे
कभी न छोड़े हाथ !!
******************************
गुरु मुझको ऐसा मिला
सोये जागे साथ !
जब कभी भी ठोकर लगे
मेरा पकड़ा हाथ !!
*******************************
गुरु मुझको ऐसा मिला
मोहन सूरत जिसकी !
आँख मूँद दर्शन करून
मन में पाऊँ झाँकी !!
*****************************
सांवरिया मेरो गुरु
मन में लियो बसाय !
आँख मूँद दरसन करूँ
करूँ प्रेम चित लाय !!
*******************************
बलिहारी तेरी गुरु
मन में कियो निवास !
यह सरीर मंदिर भयो
सांस-सांस में आस !!
*******************************
गुरु मेरा खुशबू हुआ
तन-मन में बस जाय !
कहाँ गुरु कहाँ स्वयं हूँ
अंतर किया न जाय !!
सांवरिया मेरो गुरु
जवाब देंहटाएंमन में लियो बसाय !
आँख मूँद दरसन करूँ
करूँ प्रेम चित लाय !!
बहुत सुन्दर ...
कहाँ गुरु कहाँ स्वयं हूँ
जवाब देंहटाएंअंतर किया न जाय !!,,,,,,भाव पुर्ण पंक्तियाँ
सुंदर प्रस्तुति,,,,,
RECENT POST ,,,,, काव्यान्जलि ,,,,, ऐ हवा महक ले आ,,,,,
बहुत सुंदर....
जवाब देंहटाएंसादर नमन.
बधाई प्रेषित करता हूँ!
जवाब देंहटाएंसदगुरु के प्रति प्रेम ऐसे ही बढ़ता रहे..बहुत सुंदर भावभीनी पंक्तियाँ...
जवाब देंहटाएंगुरु महिमा का सुन्दर चित्रण किया है ………सादर नमन्।
जवाब देंहटाएंसुन्दर भाव गुरु के प्रति समर्पण......बहुत सुन्दर।
जवाब देंहटाएंगुरु की महिमा तो अपरम्पार है ...
जवाब देंहटाएंसुन्दर पंक्तियाँ हैं ... हर क्षणिका लाजवाब ..
सभी पुष्प बेहद खूबसूरत...
जवाब देंहटाएं