शुक्रवार, 18 मई 2012

रिश्ता.....







रिश्तों के बीच का बर्फीलापन..... 
cold wave बड़ी मुश्किल से थमता है,
इनके बीच का feeling अगर जम गया तो... 
वो कहाँ आसानी से गलता है !
रिश्तों की बर्फ बन चुकी उष्णता 
पिघलने में बड़ा समय लेती है,
ये पिघलती नहीं आसानी से...
कभी कभी पूरी जिंदगी ही बीत जाती है !
तो गुजारिश है ऐ मेरे दोस्तों........
अपने रिश्तों की....
गुनगुनी गरमाहट को बना के रखिए !
कुछ भी हो जाए....
इन रिश्तों में प्यार सजा के रखिए !
न जमने दीजिये अपनेपन की गर्मी को 
पत्थर से ठंडे ग्लेशियर के रूप में.....
तकरार को हल्के-फुक्ले स्नैक्स की तरह ही रखिए 
बस...कड़वाहट को मत लाइये अपने बीच में !
कभी किसी तीसरे को...
अपने रिश्तों के बीच में आने न दीजिये , 
न ही पैर पसारने दीजिये... 
एक शाश्वत मौन को अपने सम्बन्धों में !
अहं के परिंदे को पर भी न मारने दीजिये...!!
और एक-दूसरे के सम्मान को बना के रखिए....!!
इति शुभं...........

15 टिप्‍पणियां:

  1. तकरार को हल्के-फुक्ले स्नैक्स की तरह ही रखिए
    बस...कड़वाहट को मत लाइये अपने बीच में !
    कभी किसी तीसरे को...
    sahi bat...

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  2. अहं के परिंदे को पर भी न मारने दीजिये...!!
    और एक-दूसरे के सम्मान को बना के रखिए....!!
    इति शुभम...........

    सुंदर सोच ....
    सुंदर अभिव्यक्ति ...पूनम जी ...!
    शुभकामनायें ...!

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  3. जिसका खुद के साथ गहरा रिश्ता होता है उसे बाहर के रिश्ते निभाने में बहुत आसानी हो जाती है...

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  4. अहं के परिंदे को पर भी न मारने दीजिये...!!
    और एक-दूसरे के सम्मान को बना के रखिए....!

    बहुत सटीक बात ... सुंदर प्रस्तुति

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  5. आपने बहुत सुंदर सटीक बात कही,..पूनम जी,,,,

    रिश्तों की बर्फ बन चुकी उष्णता
    पिघलने में बड़ा समय लेती है,
    ये पिघलती नहीं आसानी से...
    कभी कभी पूरी जिंदगी ही बीत जाती

    MY RECENT POST,,,,फुहार....: बदनसीबी,.....

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  6. सच्ची बात कहती रचना।


    सादर

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  7. कभी किसी तीसरे को...
    अपने रिश्तों के बीच में आने न दीजिये ,
    सत्य बयां करती रचना

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  8. आज ही हल्की आँच पर चढ़ा देते हैं ताकि गुनगुने रहे :-))

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  9. रिश्ते तो दिन पर दिन टूटते जा रहे हैं.

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  10. Sach haha hai ... Rishton ki garmi barkaraar rakhiye ... Unhe jinda rakhiye ... Lajawab rachna ...

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  11. Sach haha hai ... Rishton ki garmi barkaraar rakhiye ... Unhe jinda rakhiye ... Lajawab rachna ...

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  12. समसामयिक प्रेम की आवश्यक आवश्यकताओं का विषद वर्णन
    अति सुन्दर
    आभार

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  13. रिश्ते सहेजने का अच्छा फलसफा. पर हो कहाँ पाता ऐसा जबकि सोचते तो सभी हैं. अर्थपूर्ण रचना के लिए बधाई.

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