हम पे हर बात तेरी अब बेअसर होती है...
तेरे कूचे में फिर भी उम्र बसर होती है....!!
तेरी महफ़िल में यूँ तो आ ही गए हैं हम भी...
अब यहीं होती सुबह.....शाम यहीं होती है.....!!
तेरे नज़दीक रहूँ या न रहूँ मैं....फिर भी...
तेरी हर बात पे अब नज़र मेरी होती है....!!
मेरे कुछ कहने से उनको थी शिकायत कितनी...
मेरी ख़ामोशी भी अब उनको सजा होती है....!!
हमारे नाम से भी उनको उज़्र होता था...
हमारे ज़िक्र से अब उनकी सुबह होती है....!!
हमने माना कि उन्हें प्यार नहीं है हमसे...
किस लिए फिर भी उन्हें फिक्र मेरी होती है....!!
हमने माना कि उन्हें प्यार नहीं है हमसे
जवाब देंहटाएंकिस लिए फिर भी उन्हें फिक्र मेरी होती है..
वाह वाह ,,, क्या बात है बहुत उम्दा गजल ....
recent post: रूप संवारा नहीं,,,
हर एक शेर पर ढेरों दाद कबूल करे ... बहुत ही शानदार गज़ल ... : ))
जवाब देंहटाएंमेरी नयी पोस्ट पर आपका स्वागत है
बेतुकी खुशियाँ
हमने माना कि उन्हें प्यार नहीं है हमसे
जवाब देंहटाएंकिस लिए फिर भी उन्हें फिक्र मेरी होती है ...
बहुत खूब ... लाजवाब शेर है ...
मेरे कुछ कहने से उनको थी शिकायत कितनी...
जवाब देंहटाएंमेरी ख़ामोशी उन्हें अब तो सजा लगती है....!!
बहुत खूब दी।
बहुत खूब
जवाब देंहटाएंतेरी महफ़िल में अब आ ही गई हूँ
जवाब देंहटाएंअब यहीं होगी शाम ओ सुबह
कृपया मेरी आमद दर्ज कीजिये
सादर
शुक्रिया.....
हटाएंखुशामदीद.....!!
हमने माना कि उन्हें प्यार नहीं है हमसे...
जवाब देंहटाएंकिस लिए फिर भी उन्हें फिक्र मेरी होती है....!!
ये भी प्यार है …………सुन्दर प्रस्तुति
वाह ॥बहुत खूब .... उम्दा गज़ल
जवाब देंहटाएंहमने माना कि उन्हें प्यार नहीं है हमसे...
जवाब देंहटाएंकिस लिए फिर भी उन्हें फिक्र मेरी होती है....!!
बहुत बढियां...
बेहतरीन रचना....
:-)
♥(¯`'•.¸(¯`•*♥♥*•¯)¸.•'´¯)♥
♥नव वर्ष मंगलमय हो !♥
♥(_¸.•'´(_•*♥♥*•_)`'• .¸_)♥
हमने माना कि उन्हें प्यार नहीं है हमसे...
किस लिए फिर भी उन्हें फिक्र मेरी होती है....!!
:)
फ़िक्र इसी लिए रहती है कि प्यार है ...
आदरणीया पूनम जी
...और फिर यह भी तो है -
तू मेरा इश्क नहीं मुझको यकीं है अब तो
तेरे कूचे में फिर भी उम्र बसर होती है....!!
सच्चे प्यार की सारी निशानियां साफ नज़र आ रही हैं यहां तो ...
सुंदर !
बहुत ख़ूब !
नव वर्ष की शुभकामनाओं सहित…
राजेन्द्र स्वर्णकार
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