शनिवार, 12 अप्रैल 2014

एक चुप सी लगी है मेरे दोस्तों...





चोट खायी है दिल पर मेरे दोस्तों...
अक्ल फिर भी न आई मेरे दोस्तों...!!

उसकी गलियों के चक्कर लगाते रहे...
उसने मुड़ के न देखा मेरे दोस्तों...!!

मेरी दुश्वारियां उसने समझीं नहीं...
हो गयी दूर मुझसे मेरे दोस्तों...!!

रोज ख्वाबों में जन्नत बनाता रहा..
पर नज़र वो न आई मेरे दोस्तों...!!

क्या कहें..कहना चाहा न कह पाए हम 
जब वो थी मेरे पहलू मेरे दोस्तों...!!

चोट दिल पर लगी...एक उफ़ सी हुई...
फिर न जाने हुआ क्या मेरे दोस्तों...!!

आपकी बात 'पूनम' कहे भी तो क्या...
एक चुप सी लगी है मेरे दोस्तों...!!




6 टिप्‍पणियां:

  1. क्या कहें..कहना चाहा न कह पाए हम
    जब वो थी मेरे पहलू मेरे दोस्तों...!!
    ...वाह...बहुत ख़ूबसूरत ग़ज़ल...

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  2. सुन्दर गज़ल । अच्छा लिखती हो । बधाई ।
    shaakuntalam.blogspot.in

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  3. यूँ चुप न बैठो कोई गीत गाओ ...... वाह दी बहुत खूबसूरत ग़ज़ल

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