चोट खायी है दिल पर मेरे दोस्तों...
अक्ल फिर भी न आई मेरे दोस्तों...!!
उसकी गलियों के चक्कर लगाते रहे...
उसने मुड़ के न देखा मेरे दोस्तों...!!
मेरी दुश्वारियां उसने समझीं नहीं...
हो गयी दूर मुझसे मेरे दोस्तों...!!
रोज ख्वाबों में जन्नत बनाता रहा..
पर नज़र वो न आई मेरे दोस्तों...!!
क्या कहें..कहना चाहा न कह पाए हम
जब वो थी मेरे पहलू मेरे दोस्तों...!!
चोट दिल पर लगी...एक उफ़ सी हुई...
फिर न जाने हुआ क्या मेरे दोस्तों...!!
आपकी बात 'पूनम' कहे भी तो क्या...
एक चुप सी लगी है मेरे दोस्तों...!!
क्या कहें..कहना चाहा न कह पाए हम
जवाब देंहटाएंजब वो थी मेरे पहलू मेरे दोस्तों...!!
...वाह...बहुत ख़ूबसूरत ग़ज़ल...
सुन्दर गज़ल । अच्छा लिखती हो । बधाई ।
जवाब देंहटाएंshaakuntalam.blogspot.in
सुंदर !
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंवाह ! बहुत उम्दा प्रस्तुति ...!
जवाब देंहटाएंRECENT POST - आज चली कुछ ऐसी बातें.
यूँ चुप न बैठो कोई गीत गाओ ...... वाह दी बहुत खूबसूरत ग़ज़ल
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