वो उठाते नहीं...नाज़ नखरे कभी...
हम कहाँ जायेंगे...आ गए...बस अभी...!
हम कहाँ जायेंगे...आ गए...बस अभी...!
जब कभी फिक्र हो तो बुला लीजिए..
हम यहीं थे कभी...हम यहीं हैं अभी...!
हम यहीं थे कभी...हम यहीं हैं अभी...!
नींद मेरी उड़ा के वो पूछा किये...
आप सो जाइए...हम जगेंगे अभी...!
आप सो जाइए...हम जगेंगे अभी...!
नाम रोशन हुआ इस कदर है यहाँ..
छोड़ महफ़िल को ना जायेंगे हम कभी..
छोड़ महफ़िल को ना जायेंगे हम कभी..
दोस्त कहते हो हमको...खफा तुम ही हो...
है बुरी बात...बदलो अभी के अभी...!!
है बुरी बात...बदलो अभी के अभी...!!
अब इजाज़त हमें दीजिए बज़्म से...
हम मिलेंगे यहीं...शुक्रिया है अभी...!
हम मिलेंगे यहीं...शुक्रिया है अभी...!
दोस्त कहते हो हमको...खफा तुम ही हो...
जवाब देंहटाएंहै बुरी बात...बदलो अभी के अभी...!!
क्या बात है पूनम जी, आपसे कौन दोस्त खफा होने का दुस्साहस कर सकता है.
नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ.
बहुत सुन्दर ग़ज़ल..
जवाब देंहटाएंबहुत खूब !
जवाब देंहटाएंसुन्दर ग़ज़ल
जवाब देंहटाएंवाह जी वाह!
जवाब देंहटाएंबहुत खूब !
जवाब देंहटाएंनई पोस्ट आम आदमी !
नई पोस्ट लघु कथा
सुंदर प्रस्तुति
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