जबसे तुमसे नज़र मिलाई है...
रात आँखों में ही बिताई है...!
बेवज़ह रूठने मनाने में...
ख़ुशनुमा शाम यूँ गंवाई है..!
नाम लब तक कभी नहीं लाये..
हमने रस्मे वफ़ा निभाई है..!
लत लगी इश्क़ की हमें यारों...
हो गयी नींद अब पराई है...!
उनके चेहरे से उठ गया पर्दा...
चाँदनी जैसे झिलमिलाई है...!
ज़िन्दगी भर जिसे नहीं भूलें...
आज ऐसी घड़ी ही आयी है...!
हम जमाने से रंज ले बैठे...
जबसे नज़रों में वो समायी है..!
दिन गुज़र जाएगा मगर 'पूनम'...
चाँद से अपनी आशनाई है...!
***पूनम***
12 नवम्बर, 2018
जय मां हाटेशवरी...
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इस लिये आप की रचना...
दिनांक 20/11/2018
को
पांच लिंकों का आनंद
पर लिंक की गयी है...
इस प्रस्तुति में आप भी सादर आमंत्रित है।
वाह्ह्ह क्या बात है..लाज़वाब ग़ज़ल👌
जवाब देंहटाएंलाजवाब गजल...
जवाब देंहटाएंवाह!!!!