जिंदगी ने जो दी सज़ा क्या है...
हम भी समझें....ये माज़रा क्या है...?
अब वो रहते हमारे पहलू में..
बात बस इतनी सी...ख़ता क्या है..?
हम समझते हैं उसकी मज़बूरी...
अब समझने को कुछ रहा क्या है...?
हुस्न पर यूँ मिटे हैं परवाने...
शम्मा कहती रही...जला क्या है...?
होंठ ख़ामोश, आँख नम है ग़र...
हम समझते हैं ज़लज़ला क्या है...?
दिल लगाया...सजा मुकर्रर हो...
इश्क़ में और कुछ बचा क्या है...?
नींद आँखों में जब उतर आये...
ख्वाब का कोई सिलसिला क्या है..?
आप आये तो ये चमन महके....
गुल के खिलने का आसरा क्या है..?
चाँद गुमसुम है शबनमी 'पूनम'...
कोई कह दे ये वाक़या क्या है...?
***पूनम***
2/10/2015
वाह वाह पूनम जी
जवाब देंहटाएंएक एक शेर बेहद लाजवाब.
नाफ़ प्याला याद आता है क्यों? (गजल 5)
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" रविवार 07 अक्टूबर 2018 को साझा की गई है......... http://halchalwith5links.blogspot.in/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचना सखी
जवाब देंहटाएंबेहद खूबसूरत रचना
जवाब देंहटाएंबेहतरीन।
जवाब देंहटाएंलाजवाब गजल....
जवाब देंहटाएंवाह!!!
खूबसूरत ग़ज़ल।
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