दिल चाहता जो कहना वो बात है अधूरी
ख्वाबों ने जो सजाई बारात है अधूरी..!पुरवाइयों के झोंके तन मन जला रहे हैं
तेरे बिना ओ साजन बरसात है अधूरी..!
चादर सी चाँदनी की पसरी हुई है छत पे
बेताबियाँ बढ़ाती, हर रात है अधूरी..!
खिलते गुलों के चेहरे हमको लुभा न पाए
तेरी महक बिना हर सौगात है अधूरी..!
क्यूँ बोल ठहरे 'पूनम' तेरे मेरे लबों पर
क्यूँ हाय दास्तान-ए-नग़्मात है अधूरी..!
***पूनम***
बहुत सुंदर
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