जल रही शम्मा बुझाते जाइये..
आप अब दिल में समाते जाइये..!
जब मुनासिब ही नहीं रुकना तेरा..
रुठती हूँ मैं....मनाते जाइये..!
शाम से दिल कर रहा है जुस्तजू..
प्यार की खुशबू लुटाते जाइये...!
अब तलक है ये शहर भी अजनबी..
आप ही अपना बनाते जाइये...!
छू के आहिस्ता से पलकों को मेरी..
नींद पलकों में सजाते जाइये...!
रूठने में और आयेगा मज़ा..
आप अब मुझ को मनाते जाइये...!
दिल ने चाहा था कहे कुछ आपसे..
आप भी कुछ तो सुनाते जाइये..!
राह ए उल्फत में मिले 'पूनम' कोई ...
फूल कदमों में बिछाते जाइये..!
***पूनम***
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