शुक्रवार, 14 सितंबर 2012

रात की सियाही में ......










रात की सियाही में जब चंद ख्वाब जगते हैं...
हम खोजते हैं उनको,वो तलाश अपनी करते हैं..!


जिंदगी बुनती है कुछ कच्चे पक्के से धागों को
हम बस उन्हीं से एक सुकूं की चादर बुनते हैं...!


आ ही जायेगी नींद हमें भी और उनको भी 
अभी तलक जो हमारे साथ साथ ज
गते हैं...!




रहेंगे दूर कब तलक वो हमसे या रब
तन्हाई में भी जो साथ साथ चलते हैं.....!!















7 टिप्‍पणियां:

  1. जिंदगी बुनती है कुछ कच्चे पक्के से धागों को
    हम बस उन्हीं से एक सुकूं की चादर बुनते हैं...

    जिंदगी के लम्हों से बुनी चादर हमेशा सुकून देती है ...
    लाजवाब गहरा भाव लिए ...

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  2. गहरे भाव लिए सुन्दर रचना
    अरुन = www.arunsblog.in

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  3. जिंदगी बुनती है कुछ कच्चे पक्के से धागों को
    हम बस उन्हीं से एक सुकूं की चादर बुनते हैं...


    उस चादर को ओड़ने के बाद नींद भी अच्छी आती है

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  4. वाह बहुत ही खुबसूरत , शानदार हैं खासकर २ और ३ शेर ।

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  5. रहेंगे दूर कब तलक वो हमसे या रब
    तन्हाई में भी जो साथ साथ चलते हैं.....!!

    बहुत सुंदर भाव !

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