रविवार, 10 नवंबर 2013

मगर हम कुछ नहीं कहते....





हुई तौहीन उल्फत में...मगर हम कुछ नहीं कहते...
नहीं हमसे मुखातिब वो...मगर हम कुछ नहीं कहते...!

कहा कुछ भी नहीं हमने...नज़र उनकी तनी क्यूँ है...
वफ़ा उनको नहीं आती...मगर हम कुछ नहीं कहते..!

वो गैरों से मिलाते आँख हैं...यूँ तो भरी महफ़िल
चुराते आंख वो हमसे...मगर हम कुछ नहीं कहते..!

यूँ उनकी बेवफाई के...यहाँ चर्चे नहीं हैं कम
हमारा दिल भी माने है...मगर हम कुछ नहीं कहते..!

कभी वो बेवफा...बैठा था मेरी बज़्म में आ कर
जुबां चाहे कहें हम कुछ...मगर हम कुछ नहीं कहते..!



***पूनम***





शनिवार, 2 नवंबर 2013

एक रिश्ता.....








शब्द कहीं खो से जाते हैं
और जुबां चुप हो जाती है
जब भी कहना चाहा कुछ भी
सामने तुम चुपचाप खड़े हो जाते मेरे
आंख झुकी चेहरे पे कल की मायूसी भी
कह जाती है मुझसे सब कुछ 
जो कुछ कहना चाहा तुमने 
लेकिन न कह पाए अब तक
बोलो इसको क्या मैं बोलूं ?
न कह कर भी...
न सुन कर भी...
ये जो रिश्ता है अनजाना 
हम दोनों का...
ये ही सब कुछ कह जाता है !!


***पूनम***