गुरुवार, 31 मई 2012
बुधवार, 30 मई 2012

१३ मई..........
पूज्य श्री श्रीरविशंकर जी के जन्मोत्सव के उपलक्ष में...
गुरुजी के श्री चरणों में समर्पित कुछ पुष्प...
गुरु..............
जीवन में जब गुरु मिले
पकड़ लीजिये हाथ !
सांस सांस में राम रहे
कभी न छोड़े हाथ !!
******************************
गुरु मुझको ऐसा मिला
सोये जागे साथ !
जब कभी भी ठोकर लगे
मेरा पकड़ा हाथ !!
*******************************
गुरु मुझको ऐसा मिला
मोहन सूरत जिसकी !
आँख मूँद दर्शन करून
मन में पाऊँ झाँकी !!
*****************************
सांवरिया मेरो गुरु
मन में लियो बसाय !
आँख मूँद दरसन करूँ
करूँ प्रेम चित लाय !!
*******************************
बलिहारी तेरी गुरु
मन में कियो निवास !
यह सरीर मंदिर भयो
सांस-सांस में आस !!
*******************************
गुरु मेरा खुशबू हुआ
तन-मन में बस जाय !
कहाँ गुरु कहाँ स्वयं हूँ
अंतर किया न जाय !!

शुक्रवार, 18 मई 2012
रिश्ता.....
रिश्तों के बीच का बर्फीलापन.....
cold wave बड़ी मुश्किल से थमता है,
इनके बीच का feeling अगर जम गया तो...
वो कहाँ आसानी से गलता है !
रिश्तों की बर्फ बन चुकी उष्णता
पिघलने में बड़ा समय लेती है,
ये पिघलती नहीं आसानी से...
कभी कभी पूरी जिंदगी ही बीत जाती है !
तो गुजारिश है ऐ मेरे दोस्तों........
अपने रिश्तों की....
गुनगुनी गरमाहट को बना के रखिए !
कुछ भी हो जाए....
इन रिश्तों में प्यार सजा के रखिए !
न जमने दीजिये अपनेपन की गर्मी को
पत्थर से ठंडे ग्लेशियर के रूप में.....
तकरार को हल्के-फुक्ले स्नैक्स की तरह ही रखिए
बस...कड़वाहट को मत लाइये अपने बीच में !
कभी किसी तीसरे को...
अपने रिश्तों के बीच में आने न दीजिये ,
न ही पैर पसारने दीजिये...
एक शाश्वत मौन को अपने सम्बन्धों में !
अहं के परिंदे को पर भी न मारने दीजिये...!!
और एक-दूसरे के सम्मान को बना के रखिए....!!
इति शुभं...........
शनिवार, 12 मई 2012
पूज्य गुरुजी......
श्री श्री रविशंकर जी के जन्मदिन पर हार्दिक बधाई ......
मैं क्या हूँ ....
कुछ भी तो नहीं
जो हूँ.....
बस तुम हो !
तुम कहते हो मुझसे...
और तुम ही सुनते हो !
तुम ही हँसते हो मुझमें...
और तुम ही रोते भी हो !
जब खिलखिलाती हूँ मैं
सुबह की धूप से खिल जाते हो,
मेरे ही चारों तरफ....!
दूर जाती भी हूँ कभी तुमसे जो मैं
मुझे फिर वापस ले आते हो,
तुम अपनी ही तरफ...!
मेरी आँखों की चमक में
बसे रहते हो तुम हर वक़्त !
मुस्कराहटों में भी...
छिपे रहते हो तुम हर वक़्त !
गुनगुनाती हूँ जब भी....
बांसुरी से बज उठते हो !
मेरे गीतों में.....
मेरे साथ -साथ गाते हो !
प्रार्थनाओं में मेरी....
तुम ही तो मुसकुराते हो....!!
श्री श्री रविशंकर जी के जन्मदिन पर हार्दिक बधाई ......
मैं क्या हूँ ....
कुछ भी तो नहीं
जो हूँ.....
बस तुम हो !
तुम कहते हो मुझसे...
और तुम ही सुनते हो !
तुम ही हँसते हो मुझमें...
और तुम ही रोते भी हो !
जब खिलखिलाती हूँ मैं
सुबह की धूप से खिल जाते हो,
मेरे ही चारों तरफ....!
दूर जाती भी हूँ कभी तुमसे जो मैं
मुझे फिर वापस ले आते हो,
तुम अपनी ही तरफ...!
मेरी आँखों की चमक में
बसे रहते हो तुम हर वक़्त !
मुस्कराहटों में भी...
छिपे रहते हो तुम हर वक़्त !
गुनगुनाती हूँ जब भी....
बांसुरी से बज उठते हो !
मेरे गीतों में.....
मेरे साथ -साथ गाते हो !
प्रार्थनाओं में मेरी....
तुम ही तो मुसकुराते हो....!!
सदस्यता लें
संदेश (Atom)