सोमवार, 27 जुलाई 2015

दिल है दीवाना अपना.....





आपकी बात कहें या कि फसाना अपना...
क्या कहें आपसे ये दिल है दिवाना अपना.!

बात वाजिब थी तुझे भूल ही जाते हम भी..
क्या करें बात कोई दिल ही न माना अपना.!

यूँ तो आवाज़ कई बार लगाई उसने...
हो सका फिर भी नहीं लौट के जाना अपना..!

इश्क के नाम पे बस तोहमतें लेते आये...
झूठ ही कहते रहे दिल है सयाना अपना.!

चाँद चमका तो हुई रौशनी इतनी 'पूनम...'

हो गया आपके दिल में यूँ ठिकाना अपना.!






सोमवार, 29 जून 2015

कोई रोये, हँसा करे कोई....





कोई रोये,  हँसा करे कोई..
वो न समझे तो क्या करे कोई..!

है अजब चीज भी मुहब्बत ये..

या खुदा अब भला करे कोई..!

आज दिल फिर उसी पे आया है..

आज फिर जाँ जला करे कोई..!

कल तलक वो मुझे नसीब न था..

आज इसका गिला करे कोई..!

चाँदनी ने हिज़ाब पहना है..

अब तो छुपके मिला करे कोई..!

पँछियों ने उड़ान भर ली है..

हाथ अब क्यूँ मला करे कोई..!

वो है मगरूर अपनी सूरत पे..

फ़िक़्र क्यूँ हो मिटा करे कोई..!

रंग जमाने का चढ़ गया है जब..

बात क्यूँ कर सुना करे कोई..!

ज़िन्दगी की उदास राहों में.. 

संग 'पूनम' चला करे कोई..!

***पूनम***

28 जून, 2015


शुक्रवार, 3 अप्रैल 2015

इक बात अधूरी सी....






दिल चाहता जो कहना वो बात है अधूरी
ख्वाबों  ने जो सजाई  बारात  है अधूरी..!

पुरवाइयों के झोंके तन मन जला रहे हैं 
तेरे बिना ओ साजन बरसात है अधूरी..!

चादर सी चाँदनी की पसरी हुई है छत पे
बेताबियाँ  बढ़ाती,  हर  रात  है  अधूरी..!

खिलते गुलों के चेहरे हमको लुभा न पाए 
तेरी  महक  बिना  हर सौगात  है अधूरी..!

क्यूँ  बोल ठहरे 'पूनम' तेरे मेरे लबों पर
क्यूँ हाय दास्तान-ए-नग़्मात है अधूरी..!



***पूनम***


शनिवार, 21 मार्च 2015

उन्वान.......




जिसकी आँखें कभी
नई नज़्म का
उन्वान हुआ करती थीं...!
जिसकी बातें कभी
झरनों की रवानी सी
बहा करती थीं...!
जिसके होठों की तलब
फूलों को रहा करती थी...!
जो तेरे दिल में कभी
धड़कन सी रहा करती थी...!
जिसके हाथों की छुअन
जिंदगी दे जाती थी...!
वो जो तेरे ख्वाबों में
हर वक्त मुस्कुराती थी...!
वो जो तुझमें ही
तेरी रूह सी बस जाती थी...
वो जो तेरे बोलों में
किसी गीत सी बज जाती थी...!
आज वो आँख भी
बेनूर हुई जाती है..!
और हर बात भी
बेबूझ हुई जाती है...!
तेरी बातों से
जो इक जिंदगी जी जाती थी
आज वो ज़िंदगी
पत्थर सी हुई जाती है...!!


***पूनम***
२१/०३/२०१५


मंगलवार, 30 सितंबर 2014

वो लम्हा.....






वो लम्हा...
आज भी वहीँ पड़ा है
जहाँ तुम छोड़ कर गये थे..!
वो थी बारिश की एक शाम..
जब तुम आये थे
मुझे हमेशा के लिए अलविदा कहने..!
हमारे चेहरे को आँसुओं ने
बारिश से ज्यादा भिगो दिया था...!
लेकिन तुम्हारे आखिरी स्पर्श का एहसास
न बारिश धो पाई है और न आँसू..!!
अलविदा कहने के बाद..
तुमने मुड़ कर देखा ही नहीं..!
तुम्हारी छतरी की तरह...
मैं भी तुम्हारे इंतज़ार में
उस आखिरी एहसास के साथ
आज भी मैं वहीँ खड़ी हूँ...
जहाँ तुम छोड़ के गये थे..!!

***पूनम***
30/9/2014


मंगलवार, 16 सितंबर 2014

मेरी तेरी एक जुबानी.......




इस जीवन की अजब कहानी...
                                              मेरी तेरी एक जुबानी !

आ जाती है याद तेरी जब...
                                        मुस्काऊँ....आँखों में पानी !

कतरा कतरा दिन है बीता...
                                           रौशन रौशन रात बितानी !

पीर फकीर ये कहते सबसे...
                                           ये दुनिया है आनी जानी !

तुमने मुझसे प्यार किया है...
                                         लेकिन मैं तेरी दीवानी !

नगमों की बरसात हुई है...
                                         फिर भी गीतों से अनजानी !

तेरी मेरी प्रेम कहानी...
                                    है दुनिया को मुझे बतानी !


दोस्त हुए सदियाँ हैं गुजरी...
                                           अब तक वो हमसे अनजानी !



मंगलवार, 19 अगस्त 2014

मेरी जान......







एक बार तुमने कहा था...
"मुझसे मिलने की एक ही शर्त है...
तुम्हारी जान मेरी ही होनी चाहिए.."
मैंने बड़ी जुगत लगाई...
लेकिन जान तुम्हारी न हो पायी...!
आज एहसास हुआ है कि
हमारी जान तो एक ही है...!
फिर भी इस बार अपनी जान
साथ ले ही आई हूँ...
और टाँग दी है
तुम्हारे ही कमरे में...
दीवार की ऊँची खूंटी पर...!
अब केवल प्रेम लेकर
एक कोने में बैठी हूँ...!
तुम्हें ज़रूरत हो जब भी
मेरी जान को...
खूंटी से उतार कर पहन लेना....!!
एकदम झक्कास लगोगे उस दिन...!!

   



***पूनम***