देखते हैं वो ख्वाब....फिर भी यकीं नहीं होता
सोते और जागते....ख्वाबों से वो घबराते हैं...!
हम उनको कैसे इस बात का दिलायें यकीं
हम अगर जिंदा रहेंगे तो...ख्वाब आते हैं...!
न उन्हें खुद पे यकीं...न ही अपने ख्वाबों पे
पूरे न होंगे ख्वाब......आप जो घबराते हैं !
ख्वाबों पे भी कभी 'पूनम' किसी का बस है चला
बंद हो या हो खुली आँख.....ये आ ही जाते हैं...!!
बस अभी अभी...
***पूनम सिन्हा***